हीरे की खान कहानी
अफ्रीका महाद्वीप में हीरों की कई खानों की खोज हो चुकी थी, जहाँ से बहुतायत में हीरे प्राप्त हुए थे. वहाँ के एक गाँव में रहने वाला किसान अक्सर उन लोगों की कहानियाँ सुना करता था, जिन्होंने हीरों की खान खोजकर अच्छे पैसे कमाये और अमीर बन गए. वह भी हीरे की खान खोजकर अमीर बनना चाहता था.
एक दिन अमीर बनने के सपने को साकार करने के लिए उसने अपना खेत बेच दिया और हीरों की खान की खोज में निकल पड़ा. अफ्रीका के लगभग सभी स्थान छान मारने के बाद भी उसे हीरों का कुछ पता नहीं चला. समय गुजरने के साथ उसका मनोबल गिरने लगा. उसे अपना अमीर बनने का सपना टूटता दिखाई देने लगा. वह इतना हताश हो गया कि उसके जीने की तमन्ना ही समाप्त हो गई और एक दिन उसने नदी में कूदकर अपनी जान दे दी.
इस दौरान दूसरा किसान, जिसने पहले किसान से उसका खेत खरीदा था, एक दिन उसी खेत के मध्य बहती छोटी नदी पर गया. सहसा उसे नदी के पानी में से इंद्रधनुषी प्रकाश फूटता दिखाई पड़ा. उसने ध्यान से देखा, तो पाया कि नदी के किनारे एक पत्थर पर सूर्य की किरणें पड़ने से वह चमक रहा था. किसान ने झुककर वह पत्थर उठा लिया और घर ले आया.
वह एक ख़ूबसूरत पत्थर था. उसने सोचा कि यह सजावट के काम आएगा और उसने उसे घर पर ही सजा लिया. कई दिनों तक वह पत्थर उसके घर पर सजा रहा. एक दिन उसके घर उसका एक मित्र आया. उसने जब वह पत्थर देखा, तो हैरान रह गया.
उसने किसान से पूछा, “मित्र! तुम इस पत्थर ही कीमत की जानते हो?”
किसान ने जवाब दिया, “नहीं.”
“मेरे ख्याल से ये हीरा है. शायद अब तक खोजे गए हीरों में सबसे बड़ा हीरा.” मित्र बोला.
किसान के लिए इस बात पर यकीन करना मुश्किल था. उसने अपने मित्र को बताया कि उसे यह पत्थर अपने खेत की नदी के किनारे मिला है. वहाँ ऐसे और भी पत्थर हो सकते हैं.”
दोनों खेत पहुँचे और वहाँ से कुछ पत्थर नमूने के तौर पर चुन लिए. फिर उन्हें जाँच के लिए भेज दिया. जब जाँच रिपोर्ट आयी, तो किसान के मित्र की बात सच निकली. वे पत्थर हीरे ही थे. उस खेत में हीरों का भंडार था. वह उस समय तक खोजी गई सबसे कीमती हीरे की खदान थी. उसका खदान का नाम ‘किम्बर्ले डायमंड माइन्स’ है. दूसरा किसान उस खदान की वजह से मालामाल हो गया.
पहला किसान अफ्रीका में दर-दर भटका और अंत में जान दे दी. जबकि हीरे की खान उसके अपने खेत में उसके क़दमों तले थी.
सीख
मित्रों, इस कहानी में हीरे पहले किसान के कदमों तले ही थे, लेकिन वह उन्हें पहचान नहीं पाया और उनकी खोज में भटकता रहा. ठीक वैसे ही हम भी सफलता प्राप्ति के लिए अच्छे अवसरों की तलाश में भटकते रहते हैं. हम उन अवसरों को पहचान नहीं पाते या पहचानकर भी महत्व नहीं देते, जो हमारे आस-पास ही छुपे रहते हैं. जीवन में सफ़ल होना है, तो आवश्यकता है बुद्धिमानी और परख से उन अवसरों को पहचानने की और धैर्य से अनवरत कार्य करने की. सफ़लता निश्चित है.
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