गर्मी के दिन थे. दोपहर के समय एक गंजा व्यक्ति कहीं से पैदल चला आ रहा था. वह थक चुका था.
नीचे बैठा सुस्ता रहा था कि कहीं से एक मक्खी उड़ती हुई आई और उसके गंजे सिर पर भिनभिनाने लगी. उसने उसे भगाया, तो वह उड़ गई. लेकिन कुछ देर बाद आकर फिर से भिनभिनाने लगी.
गंजा व्यक्ति परेशान होने लगा और यह देख मक्खी को मज़ा आने लगा. अब वह बार-बार उसके सिर पर भिनभिनाने लगी. मौका पाकर उसने उसे काट भी लिया.
मक्खी की इस हरक़त से गंजा व्यक्ति तंग आ गया और उसे मारने के लिए ज़ोर से पंजा मारा. मक्खी उड़ गई और वह पंजा उसे अपने ही सिर पर जा लगा.
कुछ देर बाद मक्खी फिर से आ गई और काटने लगी. इस बार फिर से गंजे व्यक्ति ने उसे पंजा मारा, लेकिन वह फिर उड़ गई और उसे पंजे का वार अपने ही सिर पर पड़ा.
गंजा व्यक्ति समझ गया कि इस दुष्ट छोटी सी मक्खी पर वह जितना ध्यान देगा, वह उसे उतना ही परेशान करगी. इसलिए अगली बार जब वह आई, तो उसने उसे उड़ाने या भगाने का कोई प्रयास नहीं किया.
जब मक्खी ने देखा कि गंजा व्यक्ति पर उस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा, तो वह खुद ही उड़कर किसी और को सताने चली गई.
सीख
दुष्ट तुच्छ शत्रु पर ध्यान देकर आप खुद का नुकसान करते हैं.
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