रसोई में इन वास्तु नियमों का रखें ध्यान, अच्छी रहेगी स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति भी होगी मजबूत।
ज्योतिष एवं वास्तुशास्त्र के अनुसार, रसोई घर पर मंगल और शुक्र ग्रह का सर्वाधिक प्रभाव होता है, जो अग्नि, मंगल कार्यों, श्रेष्ठ भोजन, स्वादेंद्रिय आदि के प्रतिनिधि ग्रह माने जाते हैं। रसोई घर परिवार की संपदा का प्रतीक है। ताजा तैयार, स्वादिष्ट भोजन न सिर्फ घर की सबसे बड़ी संपदा होती है, बल्कि आपकी सामाजिक एवं आर्थिक प्रतिष्ठा को भी बढ़ाती है तथा नए आयाम देती है।
वास्तुशास्त्र के अंतर्गत घर के अंदर रसोई घर किस दिशा में बनाना चाहिए, इसके संबंध में अनेक मत हैं, मगर ज्यादातर ग्रंथ घर के आग्नेय कोण में रसोई बनाने का समर्थन करते हैं। रसोई घर को पूर्व से दक्षिण दिशा के मध्य क्षेत्र में सुविधानुसार बनाया जा सकता है। रसोईघर में सूर्य के प्रकाश एवं हवा के संचार के लिए पर्याप्त रोशनदान या खिड़कियां अवश्य होनी चाहिए। रसोई घर में पूर्वमुखी होकर खाना पकाना सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
आंतरिक व्यवस्था
उत्तर एवं ईशान जल प्रधान दिशा है। सब्जियां और बर्तन साफ करने के लिए सिंक रसोई घर की उत्तर दिशा में और पीने का जल ईशान में रखा जाना चाहिए। ईशान दिशा में रखा गया जल पाचन क्रिया के लिए सर्वोत्तम माना गया है। जहां तक संभव हो, पीने के पानी का घड़ा, आरओ आदि की व्यवस्था रसोई घर के ईशान कोण में ही करें। चूल्हे, ओवन या माइक्रोवेव की व्यवस्था रसोई घर की पूर्वी दीवार के साथ करें।
चूल्हे के सामने घर का मुख्य द्वार, रसोई घर का प्रवेश द्वार, खिड़की, शौच स्थान, शयन कक्ष का द्वार, पलंग या सीढ़ियां आदि नहीं होनी चाहिए। इसके माध्यम से आने वाली विभिन्न प्रकार की ऊर्जाएं, सात्विक गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए जहां तक संभव हो, खाना पकाने का चूल्हा, रसोई घर के अंदर शुद्ध एवं सुरक्षित स्थान पर ही रखना चाहिए। चूल्हे को हमेशा साफ-सुथरा रखें। चूल्हे की समान अग्नि शिखा का अर्थ है- परिवार की सतत समृद्धि। इसके लिए बर्नर के बंद छिद्रों को जल्दी-जल्दी साफ करते रहना चाहिए।
पानी और अग्नि की व्यवस्था भी बहुत पास-पास नहीं होनी चाहिए। रसोई घर में खाद्य सामग्री पर्याप्त होनी चाहिए। इससे घर में प्रचुरता का अहसास और सुख-शांति बनी रहती है। खाद्य वस्तुओं को रखने के लिए अलमारी दक्षिण एवं पश्चिमी दीवार के साथ बनानी चाहिए। इन अलमारियों में नित्यप्रति काम आने वाला सामान, जैसे कि अनाज, घी, तेल, मसाले, चीनी, दालें, चावल आदि रखना चाहिए। जहां तक संभव हो, प्लास्टिक के कंटेनर का इस्तेमाल न करें। धातु या कांच के कंटेनर खाद्य सामग्री रखने के लिए अच्छे माने गए हैं।
रेफ्रिजरेटर का उपयोग खाद्य वस्तुओं को ताजा बनाए रखता है। इसे रसोई घर की उत्तर एवं पश्चिमी दीवार के साथ रखना चाहिए। यदि आप फ्रिज का उपयोग नहीं करती हैं तो दूध, फल, सब्जियां आदि उत्तर एवं ईशान के मध्य रखें। इस दिशा में खानपान की वस्तुओं को अधिकतम देर तक संरक्षित करने की नैसर्गिक क्षमता होती है।
रसोई घर की आंतरिक सज्जा सौम्य एवं शांत होनी चाहिए। जहां तक संभव हो, रसोई घर में काले रंग के पत्थर या टाइल का उपयोग नहीं करना चाहिए। सौम्य, सुखद एवं पोषक रंगों का उपयोग रसोई घर में हमेशा सुखदायी रहता है। पके फल और सब्जियों के नैसर्गिक रंग, जैसे कि पीला, हरा, नारंगी, गुलाबी रंगों का उपयोग रसोई घर में हमेशा अच्छा रहता है। हल्के रंगों के उपयोग से रसोई घर बड़ा दिखता है और छोटी से छोटी चीज भी आसानी से नजर आ जाती है। इससे रसोई घर हमेशा स्वच्छ और सात्विक भी बना रहता है, जो हमारी मांगलिक एवं सामाजिक प्रतिष्ठा को सुनिश्चित करने में सहायता प्रदान करता है।
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