लोमड़ी और बीमार शेर की कहानी

  लोमड़ी और बीमार शेर की कहानी

जंगल का राजा शेर बूढ़ा हो चला था. उसकी शक्ति क्षीण हो गई थी. उसमें इतना बल शेष नहीं था कि जंगल में जाकर शिकार कर सके. इस स्थिति में उसके समक्ष भूखे मरने की नौबत आ गई थी.

एक दिन अपनी गुफ़ा में बैठा भूखा शेर (Lion) सोचने लगा कि यदि यही स्थिति रही, तो उसकी मृत्यु निकट है. उसे कोई न कोई उपाय सोचना होगा, ताकि बैठे-बिठाये ही भोजन की व्यवस्था हो जाये. वह सोचने लगा और कुछ ही देर में उसे एक उपाय सूझ गया.

एक चिड़िया की सहायता से उसने पूरे जंगल में अपने बीमार होने की खबर फैला दी. जंगल के राजा शेर के बीमार होने की ख़बर सुनकर जंगल के जानवर उसका हाल-चाल पूछने उसके पास पहुँचने लगे. शेर इसी ताक में था. जैसे ही कोई जानवर उससे मिलने गुफ़ा में प्रवेश करता, वह उसे दबोच कर मार डालता और छककर उसका मांस खाता.

हर दिन कोई न कोई जानवर उसे देखने आता रहता और शेर को गुफ़ा में ही शिकार हाथ लग जाता. उसके दिन बड़े आराम से गुजरने लगे. अब उसे भोजन के लिए जंगल में भटकने की आवश्यकता नहीं रह गई थी. बिना मेहनत के उसे अपनी ही गुफ़ा में भरपेट भोजन मिलने लगा था. कुछ ही दिनों में वह अच्छा मोटा हो गया.

एक सुबह एक लोमड़ी (Fox) उसे देखने आई. लोमड़ी चालाक थी. वह गुफ़ा के अंदर नहीं गई, बल्कि गुफ़ा के द्वार पर खड़ी हो गई. वहीं से उसने शेर से पूछा, “वनराज! आपकी तबियत कैसी है? क्या अब आप अच्छा महसूस कर रहे हैं?”

“कौन हो मित्र? अंदर तो आओ. मैं बीमार बूढ़ा शेर बाहर तक तुमसे मिलने नहीं आ सकता. मेरी दृष्टि भी कमज़ोर है. मैं तुम्हें यहाँ से ठीक से देख भी नहीं सकता. आओ मेरे पास आओ. मुझसे आखिरी बार मिल लो. मैं कुछ ही दिनों का मेहमान हूँ.” शेर ने फ़ुसलाकर लोमड़ी को गुफ़ा के अंदर बुलाने का प्रयत्न किया.

शेर के बोलते समय लोमड़ी बड़े ही ध्यान से गुफ़ा के आस-पास का नज़ारा ले रही थी. शेर की बात ख़त्म होते ही वह बोली, “वनराज! मुझे क्षमा करें. मैं अंदर नहीं आ सकती. आपकी गुफ़ा में अंदर जाते हुए जानवरों के पैरों के निशान तो हैं, किंतु बाहर आते हुए नहीं. इसका अर्थ मैं समझ गई हूँ. सब कुछ जानते-बूझते हुए भी यदि मैं अंदर आ गई, तो उस जानवरों की तरह मारी जाऊंगी, जिनके पैरों के ये निशान हैं. इसलिए मैं जा रही हूँ.”

लोमड़ी ने जंगल में जाकर बूढ़े शेर की करतूत सभी जानवरों को बता दी. उसके बाद कोई भी जानवर शेर से मिलने नहीं गया. इस तरह अपनी बुद्धिमानी से लोमड़ी ने न सिर्फ़ अपनी जान बचाई, बल्कि जंगल के अन्य जानवरों को भी शेर के हाथों मरने से बचा लिया.


सीख

बुद्धिमान व्यक्ति दूसरों की गलतियों से सबक लेते हैं. 

 


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